मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार सूर्य की संक्रांति के समय से 16 घटी पहले और 16 घटी बाद तक पुण्य काल होता है। परन्तु यह पुण्यकाल कर्क और मकर संक्रांति के अतिरिक्त सभी संक्रांतियों के लिए माना जाता है। अर्द्धरात्रि के पूर्व संक्रांति हो तो पहले दिन का उत्तरार्द्ध पुण्यकाल होता है और अर्द्धरात्रि के बाद हो तो दूसरे दिन का पूर्वार्द्ध पुण्यकाल माना जाता है। यदि संक्रांति ठीक मध्य रात्रि में हो तो दोनों दिन पुण्यकाल होता है। धर्मसिन्धु के अनुसार मकर संक्रांति का पुण्यकाल संक्रांति समय से 16 घटी या 40 घटी तक माना जाता है। निर्णय सिन्धु के अनुसार मकर संक्रांति का पुण्यकाल संक्रांति समय से 20 घटी पूर्व और पश्चात होता है।
आचार्य शरदचंद्र मिश्र
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