केतु राहु के इशारे पर तथा बनाए रास्ते पर चलता है। केतु की भी चाल राहु की तरह उलटी होती है। केतु उन्हीं स्थानों में अशुभ होता है जहां राहु। केतु के अशुभ होने पर जातक के बाल झड़ने लगते हैं। खांसी, नजला तथा आंखों और सिर के कुछ भागों में पीड़ा रहती है।
उपाय: त्रयोदशी का व्रत करें। भैरव जी की उपासना करें। केले के पत्ते पर चावल का भोग लगाएं। गाय के घी का दीपक प्रतिदिन शाम को जलाएं। हरा रुमाल सदा अपने पास रखें। प्रात: एवं सायंकाल माता-पिता के चरण छुएं। तिल के लड्डू सुहागिन महिलाओं को खिलाएं और तिल का दान करें। कन्याओं को रविवार के दिन मीठा दही व हलवा खिलाएं। बर्फी के चार टुकड़े पानी में बहाएं। पूर्णिमा की रात्रि में खीर बनाकर चांदनी में रखें और प्रात:काल उसका आधा भाग गाय को दें तथा आधा कन्याओं को खिलाएं। रेशमी धागा हाथ में बांधें। कम्बल दान करें। कुत्तों को रोटी दें। मंदिर में नित्य कुछ दान करते रहें। चांदी का छल्ला रेशमी धागे में बांधकर गले में धारण करें। दो कम्बल का दान किसी गरीब को करें। कृष्ण पक्ष में पका चावल, दही, तिल मिश्रित कर पीपल वृक्ष के नीचे रखें।
आचार्य शरदचंद्र मिश्र, 430 बी आजाद नगर, रूस्तमपुर, गोरखपुर
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