22 नवंबर 2014 को शनिवार के दिन अमावस्या है। शनिवार के दिन पडऩे वाली अमावस्या पर पीपल वृक्ष को जल देने से समस्त देवगण व पितृगण प्रसन्न हो जाते हैं। अमावस्या पितरों की पुण्यतिथि है। वृक्षों में पीपल, गूलर, बरगद, पाकड़ व आम को पंचवट माना जाता है। इसमें धार्मिक आस्था की दृष्टि से पीपल का स्थान सर्वोपरि है। स्कंद पुराण के अनुसार पीपल के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान श्रीहरि व फलों से युक्त अच्युत सदा निवास करते हैं। यह वृक्ष मूर्तिमान श्रीविष्णु स्वरूप है।
लाभ
शनिवारीय अमावस्या को पीपल वृक्ष की पूजा करने करने से ग्रह पीड़ा, पितृ दोष, कालसर्प योग, विष योग तथा ग्रहों से उत्पन्न दोष का निवारण हो जाता है। पीपल के नीचे स्थित हनुमानजी की अर्चना करने से बड़ा संकट दूर हो जाता है। प्रात:काल पीपल के नीचे बैठकर जप करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
आचार्य शरदचंद्र मिश्र
लाभ
शनिवारीय अमावस्या को पीपल वृक्ष की पूजा करने करने से ग्रह पीड़ा, पितृ दोष, कालसर्प योग, विष योग तथा ग्रहों से उत्पन्न दोष का निवारण हो जाता है। पीपल के नीचे स्थित हनुमानजी की अर्चना करने से बड़ा संकट दूर हो जाता है। प्रात:काल पीपल के नीचे बैठकर जप करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
आचार्य शरदचंद्र मिश्र
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